PNB बैंक ने हाल ही में अगस्त के पहले दिन अपने ग्राहकों के लिए बड़ा बदलाव किया है। बैंक ने अपनी सभी अवधियों के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 5 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि की है, जिससे अधिकतर उपभोक्ता लोन महंगे हो गए हैं।
MCLR क्या है?
MCLR भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अप्रैल 2016 में शुरू की गई एक स्कीम है, जिसका उपयोग कमर्शियल बैंकों द्वारा लोन की ब्याज दर तय करने के लिए किया जाता है। यह स्कीम पुराने बेस रेट सिस्टम को रिप्लेस्ड करती है और ब्याज दरों को अधिक पारदर्शी बनाती है। MCLR की गणना धनराशि की सीमांत लागत, आवधिक प्रीमियम, संचालन खर्च और नकदी भंडार अनुपात (CRR) को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है।
ब्याज दर वृद्धि का प्रभाव
विभिन्न अवधियों के लिए नई MCLR इस प्रकार हैं:
अवधि | पूर्व MCLR | नई MCLR |
---|---|---|
एक दिन | 8.25% | 8.30% |
एक महीना | 8.30% | 8.35% |
तीन महीने | 8.50% | 8.55% |
छह महीने | 8.85% | 8.90% |
एक साल | 8.85% | 8.90% |
तीन साल | 9.15% | 9.20% |
इस वृद्धि से विभिन्न लोन जैसे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI (Equated Monthly Installment) बढ़ जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि आपका होम लोन एक साल की MCLR से जुड़ा है, तो आपकी ब्याज दर अब 8.85% से बढ़कर 8.90% हो जाएगी, जिससे आपकी EMI में थोड़ी वृद्धि होगी।
अन्य बैंकों के साथ तुलना
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि PNB ही एकमात्र बैंक नहीं है जिसने अपनी ब्याज दरें बढ़ाई हैं। बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने भी अपनी एक साल की MCLR में 0.05 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 8.95% कर दिया है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है
MCLR में वृद्धि का मतलब है कि बैंकों के लिए धन की कीमत बढ़ गई है। जब बैंक अपनी MCLR बढ़ाते हैं, तो उधार लेने की कीमत भी बढ़ जाती है, जिससे उपभोक्ता खर्च और उधार लेने के व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है। यह मौजूदा उधारकर्ताओं, विशेषकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिनके पास फ्लोटिंग रेट लोन हैं, क्योंकि उनकी लोन रिपेमेंट महंगी हो जाएगी।