RBI MPC Meeting: आपके लोन की EMI घटेगी या बढ़ेगा बोझ? आरबीआई MPC की बैठक में कल होगा तय

पिछले वर्ष फरवरी में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था, जिसके बाद से लगातार सात बैठकों में इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया। अब आठवीं बैठक में ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद है, जिससे आम जनता को राहत मिल सकती है।

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Written by Praveen Singh

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RBI MPC Meeting: आपके लोन की EMI घटेगी या बढ़ेगा बोझ? आरबीआई MPC की बैठक में कल होगा तय
RBI MPC Meeting

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक कल से शुरू होने जा रही है। ये बैठक आने वाले 8 अगस्त तक चलेगी। इस बैठक में ब्याज दरों में संभावित कटौती सहित कई अहम निर्णय लिए जा सकते हैं। पिछले वर्ष फरवरी में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था, जिसके बाद से लगातार सात बैठकों में इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया। अब आठवीं बैठक में ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद है, जिससे आम जनता को राहत मिल सकती है। हालांकि आने वाले महीनों में रिटेल महंगाई में मामूली कमी आने की संभावना है। ऐसे में अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बैठक में ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना बेहद कम है।

RBI के सामने चुनौती

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सामने महंगाई को नियंत्रित करने की बड़ी चुनौती है। लगातार 57 महीनों से खुदरा महंगाई दर 4% के निर्धारित लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। जून में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई सालाना आधार पर 5.08% तक पहुंच गई। खाद्य महंगाई भी लगातार आठ महीनों से 8% से ऊपर बनी हुई है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई में कुछ कमी आ सकती है, लेकिन यह मुख्य रूप से तुलनात्मक आधार कम होने के कारण होगी, न कि कीमतों में स्थायी गिरावट के कारण। नतीजतन, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना निकट भविष्य में कम है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि केंद्रीय बैंक अक्टूबर में इस निर्णय पर पुनर्विचार कर सकता है।

उच्च ब्याज दरों के बावजूद मजबूत आर्थिक वृद्धि

भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% के उच्च रेपो रेट के बावजूद मजबूत प्रदर्शन कर रही है। वित्त वर्ष 2024 में 8.2% की वृद्धि दर दर्ज करने के बाद, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी 7.2% की वृद्धि का अनुमान लगाया है। इस मजबूत वृद्धि के कारण, ब्याज दरों में कटौती का दबाव कम हुआ है। बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता के अनुसार, “मजबूत वृद्धि के कारण आरबीआई को महंगाई दबाव कम होने तक ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की गुंजाइश मिल गई है।”

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ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने एनबीटी को बताया कि उच्च वृद्धि दर और पहली तिमाही में 4.9% की महंगाई दर के बावजूद, अगस्त की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में मानसून अच्छा रहे और खाद्य महंगाई कम हो, तो अक्टूबर में नीति में बदलाव हो सकता है।”

पिछली बैठक में ब्याज दरों को लेकर लिया निर्णय

पिछली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में सदस्यों के बहुमत ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया था कि रिटेल महंगाई दर अभी भी 4% के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जिसके कारण ब्याज दरों में कटौती करना उचित नहीं होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने और सितंबर में संभावित बदलाव के संकेत देने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक भी कोई भी कदम उठाने से पहले अमेरिका के रुख का इंतजार करेगा।

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