देश के सबसे पुराने बैंकों में से एक IDBI बैंक अब प्राइवेट क्षेत्र में जाने की ओर बढ़ रहा है. सरकार ने इस बैंक को बेचने का फैसला किया है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन बड़ी कंपनियां इस बैंक को खरीदने के लिए तैयार है. इनमें से एक Company Fairfax Financial है, जिसके मालिक भारतीय मूल के एक कनाडाई बैंकर हैं। बाकी दो कंपनियां Emirates NBD और Kotak Mahindra Bank हैं।
इन तीनों कंपनियों को सरकार की ओर से मंजूरी मिल चुकी है। अब देखना होगा कि इनमें से कौन सी कंपनी IDBI बैंक को खरीदने में कामयाब होती है और इस बैंक का भविष्य कैसा होगा। वर्तमान में सरकार के पास IDBI Bank में 45.5% हिस्सेदारी है, जबकि LIC 49% से अधिक हिस्सेदारी के साथ बैंक की सबसे बड़ी शेयरधारक है।
सरकार और LIC की हिस्सेदारी
IDBI Bank जो पहले एक वित्तीय संस्थान था, बाद में एक बैंक बन गया था। सरकार अब इस बैंक में अपनी 60.7% हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इस हिस्सेदारी में सरकार का सीधा 30.5% हिस्सा और LIC का 30.2% हिस्सा शामिल है। बाजार में IDBI बैंक की कुल कीमत लगभग 1,08,814 करोड़ रुपये है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैंक को बेचने में कोई बड़ी समस्या नहीं आनी चाहिए क्योंकि यह पहले से ही एक निजी कंपनी की तरह काम करता है। सरकार ने इस बैंक में इसलिए ज्यादा पैसा लगाया था क्योंकि यह बहुत ज्यादा कर्ज में डूबा हुआ था।
IDBI Bank का निजीकरण जल्द होगा
सरकारी निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने बताया है कि आईडीबीआई बैंक को किसी निजी कंपनी को बेचने की प्रक्रिया इस साल पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक उन कंपनियों का मूल्यांकन कर रहा है जो इस बैंक को खरीदना चाहती हैं। इन कंपनियों को बैंक के बारे में सारी जानकारी दी जाएगी ताकि वे यह तय कर सकें कि क्या वे इसे खरीदना चाहती हैं या नहीं।
IDBI बैंक का निजीकरण भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा बल्कि इससे निजी निवेशकों को भी भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में निवेश का अवसर मिलेगा। सरकार और LIC की हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राजस्व का उपयोग अन्य विकासात्मक कार्यों में किया जा सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी हुई है कि ये प्रक्रिया इस साल में पूरी हो जायेगी की नहीं.